ईस्ट इंडिया कंपनी 1603 में भारत में आने के बाद लगातार जीत हासिल करती चली गई और उस दौरान दुनिया के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि एक कंपनी ने एक देश पर कब्ज़ा कर लिया था. लेकिन इस सफ़र के दौरान एक मोड़ पर उन्हें ऐसी शर्मनाक हार मिली थी जिसने कंपनी का वजूद ही ख़तरे में डाल दिया था. बाद में कंपनी ने अपने माथे से ये दाग़ धोने की पुरज़ोर कोशिश की. यही वजह है कि बहुत कम लोग जानते हैं कि सिराजुद्दौला और टीपू सुल्तान पर जीत हासिल करने से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने औरंगज़ेब आलमगीर से भी जंग लड़ने की कोशिश की थी लेकिन इसमें बुरी हार का सामना करने के बाद अंग्रेज़ों के दूतों को हाथ बांधकर और दरबार के फ़र्श पर लेटकर मुग़ल बादशाह से माफ़ी मांगने पर मजबूर होना पड़ा था.
स्टोरी: ज़फ़र सैय्यद, बीबीसी उर्दू
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